लफ्जों म़ें जिसे पिरो न सके वो एहसास बना तू।
हर दुआ में मांगी सलामती जिसकीवो दुआ मेरी बना तू।
जिसे पा कर भी हासिल न कर सकेहां वो ही खुशी मेरी है तू।
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