चाहत
चाहत बहुत थी कस के गले लगाने की तुझे,
रुक गये बढते कदम हर बार तेरी ओर,
ये सोचकर, चाहत ही मेरी शायद नहीं है तुझे।।
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro
चाहत बहुत थी कस के गले लगाने की तुझे,
रुक गये बढते कदम हर बार तेरी ओर,
ये सोचकर, चाहत ही मेरी शायद नहीं है तुझे।।
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro