22| Kya Bulau Tujhe?
क्या बुलाउ तुझे?
किस नाम से पुकारू तुझे?
याँरा या पीठ पीछे वार करने वाले याँरियो का याँरा? आखीरकार दो चहरे हैं तेरे!
बैठी हूँ मैं
हमारे यादों को याद करते
याद करते-करते आँसु है निकली
मेरी आँख से!
क्या बुलाउ तुझे?
अखिरकार दो चहरे हैं तेरे!
याँरा बोला था तुझे
ना पता था,
ऐक ऐसा भी दिन होगा
जब मेरा ज़ुबान शर्मायेगी
तेरे नाम लेने से
क्या बुलाउ तुझे?
आखीरकार दो चहरे हैं तेरे!
ऐक दिन वैसा भी था
जब हम दोनों मिलके हसते थे रात भर
इन दिवारों ने भी सुना है
हमारी दोस्ती की कहानियाँ
अब तो ये दिवार भी याद दिलाति है तुझे
और तेरी यादों से जुडी धोखा
क्या बुलाउ तुझे?
आखीरकार दो चहरे हैं तेरे!
भरोसा किया तूम पर
बडा नतीजा निकला उस बेहुदि भरोसा का
अब तो लोग सिर्फ़ हसते हैं हम पर
इसका असर तो नहीं हैं तुम पर
क्या बुलाउ तुझे?
आखीरकार दो चहरे है तेरे!
ये दीवार चीखते हैं तेरा धोखा
और आँसु निकलते हैं मेरे आँख से
एसा भी क्या किया मै ने?
की अब तो हम सिर्फ़ नमी बन गए
क्या बुलाऊ तुझे?
आखीरकार दो चहरे हैं तेरे!
मगर फिर, यही दीवारे चीखते है ,
मेरी मासूमियत
यहि दीवारे चीखते है,
मेरी सच्चाइ
की अब तो मैं सिर्फ़ खोजने पड़ी हू
अपनि मुस्कुराहट को
जिसे खों चुकी थी कही
-तेरे रंग से,
आखीरकार दो चहरे हैं तेरे!
Category - Hindi
Prmopt no- 1 (#DoChehre)
Entry for Rhythms and Rhymes Conducted by TheStarRangers
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