सफर (Failed_cardiac)(2)
सफर
दूसरों की ताल से ताल मिलाऊँ
या खुद का कोई गीत गाऊँ
चाहूँ तो ख्वाबों की स्याही से
आसमान रंग दूँ
मैं दिल की तमन्नाओ से
हाथों की लकीरे बदल दूँ
कुछ और ख्वाइशें बुन लूँ
कुछ और शरारते कर लूँ
बस इतना सा ही तो है सफर
खुल के इसे आज जी लूँ ।।
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