एक पल का रुकना (cchinu)(4)
एक पल का रुकना
भागे जा रहे है सब,
दूर किसी मंज़िल की ओर
खोज रहे है खुशियों को,
अपने सारे रिश्तों को तोड़
क्या है ऐसा वहां,
जो हमे यहां नही मिल सकता?
क्या है ऐसा उन लहरों में,
जो हमे किनारा नही मिल सकता?
यादों के बादल तो यहां भी है,
यादों के बादल तो वहां भी है
सुख-दुख की किरणों से,
उलझना तो सारे जहां को ही है
फिर क्यों ना एक पल रुक के देखे,
घड़ी से लगी race को हार के देखे
कल वहां जाने के सपनों से हट कर,
क्यों ना आज, यहीं
थोड़ा सा जी के देखे
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