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Chapter 4 - Palak (Part 1)

सुबह 7 : 30 बजे
सुबह मेरी नींद से आँखें खुलते ही मैने महसूस किया कि वहाँ चारों तरफ़ काफ़ी शांति थी । इसलिए मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और अपने पीछेवाली खिड़की खोलकर बहार देखा ।
अब तक मौसम शांत हो चूका था और तूफ़ानी हवाऐं चलना भी बंध हो गई थी । लेकिन मौसम में अभी भी काफ़ी ठंड और नमी कायम थी । रात में हुई बारिश की वजह से ज़मीन अभी भी गीली नज़र आ रही थी ।
मैं खिड़की के पास खड़ी होकर बहार का नज़ारा देख रही थी । और इसी बीच मैं कब अपनी उन्हीं यादों में खो गई, मुझे पता ही नहीं चला ।
मुझे अचानक वही सारी बातें याद आने लगी, जिनसे भागकर मैं यहाँ इतनी दूर चली आई थी ।
उस दिन हुए हादसे की सारी तस्वीरें एक-एक करके मेरी आँखों के सामने आने लगी । ना चाहते हुए भी मैं उस तकलीफ़ को एक बार फ़िर काफ़ी क़रीब से महसूस कर रही थी ।
तभी अचानक मेरे फ़ोन की रींग बजने की आवाज़ सुनते ही मेरा ध्यान उस तरफ़ चला गया और मैंने जल्दी से जाकर अपना फ़ोन उठाया ।
"हेलो..! पलक..? हाँ, एक्टूली मुझे थोड़ी देर हो जाएगी । इसलिए तुम रैड़ी रहना । मैं एक घंटे में वहाँ पहुँच जाऊंगी । ओके.?" मेरे फ़ोन उठाते ही सलोनी ने जल्दबाज़ी में कहा ।
"हाँ, मैं तैयार रहूँगी ।" मैंने जवाब देते हुए कहा और मेरी बात ख़त्म होते ही उसने ज़ल्दी में फ़ोन रख दिया ।
उसके कुछ देर बाद अब मैं जाने के लिए बिल्कुल तैयार थी । मैंने ज़ल्दी से सारी खिड़कियाँ और दरवाज़े बंध किये और अपना फ़ोन उठाते ही तेज़ी से अपने कमरे से बहार चली गई । उसके बाद मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा बंध किया और ज़ल्दी से नीचे आ पहुँची । बहार आने पर मैंने पेलेस का दरवाज़ा बंध किया और गेट बंध करते ही सिढ़ियों से नीचे उतर आई ।
मेरे बहार आने के कुछ ही मिनटों बाद सलोनी भी अपनी स्कूटर से वहाँ पहुँची ।
मैंने देखा कि आज भी उसने वैसे ही पकड़ें पहने थे, जैसे वो हमेशा पहनती थी । उसने आज भी ब्लू स्पोर्ट्स टी - शर्ट, ब्लेक जिन्स और अपने पैरों में ब्लू स्पोर्ट्स शूज़ पहने थे ।
"हेलो..! पलक । जल्दी बैठो वरना हम लेट हो जाएंगे ।" सलोनी ने आते ही जल्दबाज़ी में कहा और मेरे बैठते ही उसने स्कूटर स्टार्ट कर दी ।
"वैसे.. तुम इस येलो, लॉग ड्रेस और ब्लू जेकिट में अच्छी लग रही हो ।" सलोनी ने स्कूटर के मिरर में देखते हुए मुस्कुराकर कहा ।
"थेन्क्स..! तुम भी अच्छी लग रही हो ।" मैंने जवाब में कहा ।
"थेन्क यू.! वैसे इन्टरव्यू के लिए ये कपड़े एकदम पर्फेक्ट है ।" सलोनी ने स्कूटर चलाते हुए ऊँची आवाज़ में कहा ।
लेकिन मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस उसके पीछे बैठकर हर एक रास्ते और मोड़ को ध्यान से देखती रही ।

सलोनी के ऑफ़िस जाने का रास्ता भी कुछ-कुछ वही था, जो उसके घर का था । लेकिन उसके घर तक जानेवाले रास्ते पर मुड़ने के बजाय वो सीधा आगे चलती रही । क़रीब दस मिनटों तक औऱ आगे चलते रहने के बाद उसने स्कूटर की रफ़्तार कम कर दी और एक बहुत बड़ी काँच के खिड़कियों वाली सफेद बिल्डिंग के सामने आकर उसने स्कूटर को रोक दिया ।
"पलक, तुम अंदर जाओ, मैं स्कूटर पार्क करके आती हूँ ।" सलोनी ने मेरी तरफ़ देखकर कहा । और मैं जवाब में सर हिलाकर आगे बढ़ गयी ।
उस बिल्डिंग के दरवाज़े के पास पहुंचते ही मैं उस बड़े से काँच के दरवाज़े को खोलते हुए अंदर गई । वो जगह मेरी सोच से बहुत बड़ी थी । वहाँ की हर चीज़ सफेद, भूरे और गहरे भूरे रंग की थी । अंदर जाने के बाद मैं रिसेप्शन के पास खड़ी रहकर सलोनी का इन्तजार करने लगी ।
"पलक..! तुम यहीं वेट करो । मैं अभी आती हूँ ।" सलोनी ने अंदर आते ही मेरी तरफ़ देखकर कहा और भागते हुए रिसेप्शन के सामने वाली सिढ़ियों पर चढ़ गई ।
सलोनी के जाने के कुछ देर बाद मेरे फ़ोन की रींग बजने लगी ।
"हाँ, हेलो.! पलक । तुम ज़ल्दी से यहाँ उपर चली आओ । मैं बाहर खड़ी हूँ ।" सलोनी ने मेरे फ़ोन उठाते ही जल्दबाज़ी में कहा और इतना कहते ही उसने फ़ोन रख दिया ।
उसके बाद सलोनी के कहने पर मैंने भी उन्हीं सिढ़ियों से उपर जाना शुरु किया । और सिढ़ियों से होते हुए मैं उस जगह तक जा पहुँची, जहाँ सलोनी बाहर फर्स्ट फ्लोर की सिढ़ियों के पास मेरा इन्तज़ार कर रही थी । वहाँ पहुँचते ही मैंने देखा कि सलोनी मेरा इन्तज़ार करते हुए बेसब्री से यहाँ से वहाँ घुम रही थी ।
"हेय.. पलक.! अच्छा हुआ जो तुम यहाँ आ गई । मैंने तुम्हारे बारें में मे'म से बात कर ली है । लेकिन वो पहले तुम्हारा इन्टरव्यूह लेना चाहती हैं और वो भी अभी ।" सलोनी ने मुझे देखते ही मेरे पास आकर जल्दबाज़ी में परेशान होकर कहा ।
"तुम उसकी फ़िक्र मत करो । मैं सब सँभाल लूंगी ।" मैंने सलोनी के कंधे पर हाथ रखकर उसे शांत करते हुए धीरे से कहा ।
उसके बाद हम दोनों ऑफ़िस का काँच से बना दरवाज़ा खोलते ही धीरे से अंदर गए ।
अंदर जाते ही मैंने देखा कि वहाँ दरवाज़े के दाई तरफ़ सभी के ऑफ़िस डेस्क रखें हुए थे । साथ ही वहां दरवाज़े के बिल्कुल सामने की तरफ़ सफेद रंग के दो दरवाज़े बनें हुए थे । और एक दरवाज़ा बाई तरफ़ था ।
"वो क्रितीका मे'म का केबिन है । बेस्ट ऑफ़ लक.!" सलोनी ने सामनेवाले दरवाज़े की तरफ़ इशारा करते हुए धीरे से कहा और आखिर में मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराई । और मैं आगे बढ़ गई ।
दरवाज़े के पास पहुँचकर मैंने धीरे से मे'म की केबिन का दरवाज़ा खोला । और दरवाज़ा खोलते ही मैंने देखा कि बिल्कुल सामने की तरफ़ एक ऑफ़िस डेस्क रखां हुआ था । और डेस्क की दूसरी तरफ मे'म चेर पर बैठकर अपना काम कर रही थी ।
वो दिखने में काफ़ी शांत और सुलझी हुई लग रही थी । उन्होंने गहरे हरे रंग की साड़ी पहनी थी । उनके बाल एक हेयर क्लिप से बँधे हुए थे । और साथ ही उन्होंने अपनी आँखों पर लाल फ्रेमवाला चश्मा लगा रखां था ।
"केन आई कम इन मे'म.?" दरवाज़ा खोलते ही मैंने बहार से सहमती मांगते हुए कहा । और मे'म ने मुझे सहमती देते हुए धीरे से अपना सर हिलाया ।
मे'म ने मेरी तरफ़ देखते हुए बैठने के लिए इशारा किया, "तो.. तुम हो मिस. पलक मोहिते ?" और धीरे से सवाल किया । तब उनका इशारा पाते ही मैं सामनेवाली कुर्सी पर हिचकिचाते हुए धीरे से बैठ गई ।
"वैसे तो सलोनी ने मुझे तुम्हारे बारें में बताया था । लेकिन मैं पहले तुम्हारा रेज़्यूमे देखना चाहती हूँ ।" मेडम ने टेबल पर सेे अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा ।
"हाँ, मे'म ।" मैंने धीरे से कहा और अपनी फाईल टेबल पर रख दी ।
मेरे फाईल के टेबल पर रखते ही मे'म ने उसे तुरंत उठा लिया ।
मे'म ने मेरी फाईल देखी, "नाईस..! इम्प्रेसीव । तुम स्पिच कोम्पिटिशन, गेम्स एन्ड स्पोर्ट्स, और ड्रोईग कोम्पिटिशन में भी हिस्सा ले चूकी हो । और दूसरे कई सारे कोम्पिटिशन जीत भी चूकी हो । साथ ही हर सब्जेक्ट्स में तुम्हारे ग्रेड्स भी काफ़ी अच्छे हैं ।" उन्होंने हल्की-सी मुस्कुराहट के साथ तारीफ़ की ।
मेड़म को खुश देखकर मुझे लगा कि शायद ये जोब मुझे मिल जाएगी । लेकिन तभी.. अचानक पन्ने पलटते हुए मेडम की मुस्कुराहट गायब हो गई और वो थोड़ा परेशान हो गई ।
"लेकिन ये क्या..! तुमने अपनी कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म क्यूँ नहीं की ?" मेडम ने हैरान होकर मेरी तरफ़ देखते हुए कहा ।
"वो.. एक्टूली..! मे'म.. दो महीनों पहले हुए एक हादसे में मैंने.. अपनी फेमिली.. को.. खो दिया ।" मैंने मे'म के सवाल का जवाब देते हुए कांपती हुई आवाज़ में कहा ।
उसके बाद मैं कुछ और कहने लायक नहीं रही । क्योंकि एक - एक करके वो सारी डरावनी यादें अचानक मेरी आँखों के सामने आने लगी । और एक बार फिर मेरी आँखों से आँसू बहने लगे । लेकिन कुछ ही पलों बाद मैने बहुत मुश्किल से ख़ुद पर क़ाबू किया ।
"आई..आई'एम सॉरी, मे'म । मैं.." मैंने अपनेआप पर क़ाबू पाते ही अपने आँसू पोंछते हुए कहा और सीधा होकर बैठ गई ।
"इट्स ओके । मैं.. समझ सकती हूँ कि तुम्हें कितनी तकलीफ़ हो रही होगी ।" मेडम ने मेरी तरफ़ देखकर धीरे से कहा ।
"मगर क्या तुम इस जोब के लिए तैयार हो ?" मे'म ने मेरी तरफ़ देखकर कहा । "हाँ मे'म, मैं ये जोब बहुत ध्यान से करूँगी ।" मैंने जवाब देते हुए उनकी तरफ़ देखकर कहा ।
"लेकिन क्या तुम ये काम कर पाओगी ?" मे'म ने मेरी क़ाबिलीयत के बारें में पूछते हुए सवाल किया ।
"हाँ मे'म, मैं ये कर सकती हूँ । और अगर नहीं कर पायी तो मैं जल्दी ही सीख जाऊंगी ।" मैंने मेडम को यक़ीन दिलाते हुए धीरे से कहा ।
"ओल राईट धेन । तुम कल से हमें जोईन कर सकती हो । हमारे ऑफ़िस आवर्स सुबह 9 ओ'क्लोक से 5 ओ'क्लोक हैं । एन्ड कोन्ग्रेच्यूलेशन्स मिस. पलक । वेल कम टू द 'शाईन ऑफ़ भारत ।' " मे'म ने कुछ पल शांति से सोचने के बाद मेरी तरफ़ देखकर हल्की-सी मुस्कुराहट के कहा ।
"थेन्क यू, मे'म । मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगी ।" मैंने उठकर खड़े होते हुए कहा और मे'म से हाथ मिलाया । और फिर उनकी केबिन से बाहर चली आई ।
"हेय..! पलक ! अंदर क्या हुआ ? मे'म ने क्या कहा ?" सलोनी ने मेरे बाहर कदम रखते ही मेरी तरफ़ देखकर परेशानी में सवाल किया ।
"उन्होंने मुझे कल से जोईन करने को कहा है ।" मैंने उसकी तरफ देखते हुए धीरे से कहा ।
"अरे..! इसका मतलब तुम्हें जोब मिल गई ! और तुम मुझे ये बात इस तरह से बता रही हो ! कोन्ग्रेच्यूलेशन्स..!" सलोनी ने खुश होकर मुझे गले लगाते हुए कहा ।
"हाँ, थेन्क यू । ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है ।" मैंने उलझन भरी मुस्कुराहट के साथ धीरे से कहा ।
"ओके देन.. तो अब चलें..? हमें आज बहुत काम करना है ।" सलोनी ने मुस्कुराते हुए कहा ।
"कौनसा काम..?" मैंने हैरान होकर धीरे से सवाल किया ।
सलोनी मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने साथ ले गई, "तुम पहले चलों तो सही, सब पता चल जाएगा ।" उसने मुस्कुराते हुए कहा ।
"सलोनी, हम कहाँ जा रहें हैं ?" मैंने धीरे से सवाल किया ।
"वो.. हम मार्केट जा रहें हैं ।" सलोनी ने जवाब में मुस्कुराकर कहा ।
"लेकिन.. मार्केट क्यूँ ? और तुम मेरे साथ क्यूँ चली आई ? तुम्हारी ऑफ़िस.." मैंने सलोनी की बात सुनकर हैरानी में सवाल किया ।
"वो.. आज मैंने ऑफ़िस से छुट्टी ली हैै । आज हमें बहुत काम करना है । पहले हमें ग्रोसरी शॉप जाना है । फ़िर हमें तुम्हारा किचन सेट करना है । और साफ़-सफ़ाई करनी है । लेकिन सबसे पहले.. हम चलकर कुछ खाते हैं ।" सलोनी ने मेरी बात के जवाब में मुस्कुराते हुए लंबी लिस्ट सुनाई ।
"वैसे मैं तुम्हें किसी से मिलाना चाहती थी । लेकिन वो पागल आज ऑफ़िस आया ही नहीं ।" सलोनी ने उदास होकर कहा ।
"कोई बात नहीं । वैसे भी अब से हम रोज़ ऑफ़िस जाने वाले हैं ।" मैने सलोनी को समझाते हुए धीरे से कहा ।
उसके बाद हमने वही किया जैसा सलोनी ने बताया । खाना खाने के बाद हमने ग्रोसरी का सारा सामान खरीदा । और बाकी ज़रूरत का सामान खरीदने के बाद हम पेलेस जा पहुँचें ।

To be continue...

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