Chào các bạn! Vì nhiều lý do từ nay Truyen2U chính thức đổi tên là Truyen247.Pro. Mong các bạn tiếp tục ủng hộ truy cập tên miền mới này nhé! Mãi yêu... ♥

Chapter 23 - Chandra (part 1)

हैलो दोस्तों, आज  मैंने सही समय पर नया भाग प्रकाशित किया है। और मुझे उम्मीद है कि आपको आजका भाग पसंदआएगा। मैंने दिल लगाकर इस चैप्टर को लिखा है। लेकिन फिर भी अगर कोई कमी हो तो प्लीज़ संभाल लेना। और अपने कमाल के एक्स्पीरियंस इस चैप्टर के कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर साझा करिएगा।
साथ ही मैं छुपेरुस्त पाठक को भी धन्यवाद करती हूं जो बिना भूले मेरी कहानी पढ़ रहे है। लेकिन अगर आप यूंही गुमशुदा रह जाएंगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए प्लीज़ इस कहानी को अच्छी रेटिंग दे और अपनी खुशी तथा अनुभव ज़ाहिर करे। इस असंभव सी यात्रा का हिस्सा बने। एक लेखक काफ़ी मेहनत और लगन के साथ कोई कहानी लिखता है। और आपको उसकी कहानी पसंद आती है फिर भी अगर आप उसके साथ अपनी खुशी साझा नहीं करेंगे तो ये कितनी असंवेदनशील बात होगी। मेरे लिए आपके वोट और कॉमेंट कीमती रहेंगे। इसलिए अपनी खुशी साझा करना बिलकुल न भूले।
आपकी, बि. तळेकर ♥️
•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°

कहानी अब तक: सावधानी बरतने के बावजूद न चाहते हुए भी, "वादा..." मेरे मुंह से वो शब्द धीमी आवाज़ में निकल गया।
उसी समय मेरा जवाब सुनते ही उस बच्ची ने काफ़ी रहस्यमय ढंग से अपनी गूढ़ नज़रे से मेरी और देखा। और उसके होठों पर असाधारण मुस्कान फैल गई।

°°°°°°°°°°°°°°°
अब आगे...

बुधवार  सुबह  2:30  बजे।
अपने  काम  को  पूरा  करने  की  जल्दबाज़ी  में  पलक  अपनी  फाईल  और  एक  हाथ  में  पेन  लिए  वहीं  सोफा  पर  बैठे-बैठे  ही  सो  चुकी  थी।  मगर  इतनी  थकान  में  उसे  सोते  देखकर  मैंने  उसे  जगाना  ठीक  नहीं  समझा।  इसलिए  उसे  अपनी  बाहों  में  उठाकर  उसके  कमरे  तक  ले  गया।  और  उसे  उसके  बिस्तर  पर  लेटाकर  ख़ुद  भी  वहीं  उसके  सामने  बैठा  रहा।
मैं  वहीं  बिस्तर  से  थोड़ी  दूरी  पर  पलक  के  सामने  खुर्शी  पर  बैठा  था  और  मेरी  नज़रे  पलक  के  प्यारे  से  चेहरे  पर  ठहरी  थी।  उसके  चेहरे  पर  किसी  बात  को  लेकर  तनाव  था,  मगर  साथ  ही  उसके  चेहरे  पर  एक  सुकून  था।  इस  भूतिया  महल  में  मेरी  जैसी  एक  रूह  के  साथ  रहते  हुए  भी  वो  बेफिक्र  होकर  सो  रही  थी।  जिससे  ये  ज़ाहिर  था  कि  उसे  कोई  डर  या  खौफ  नहीं  था।  बल्कि  उसे  मुझ  पर  पूरा  भरोसा  था।  जिसका  एहसास  मेरे  होठों  पर  हल्की  मुस्कान  ले  आया।

जब  मैं  इस  नयन  तारा  पेलीस  में  अकेला  था  तब  एक-एक  पल  काटना  मेरे  लिए  सदियों  के  बराबर  था।  मगर  पलक  के  आने  के  बाद  देखते  ही  देखते  करीबन  तीन  महीने  बीत  चुके  थे।  पलक  के  साथ  गुज़रा  हर  एक  पल  मेरे  लिए  काफ़ी  ख़ास  पल  थे।  उसके  साथ  बिताए  ये  दीन  मेरे  सबसे  बेहतरिन  और  यादगार  दिन  थे।
उस  शुरूआती  दौर  में  पलक  मेरे  लिए  महेज़  एक  अजनबी  लड़की  थी।  लेकिन  आज...  आज  वो  मेरे  लिए  सब  कुछ  थी।  पलक  के  सिवाय  मेरे  पास  ऐसा  और  कोई  नहीं  था  जिसकी  मैं  इतनी  परवाह  करता  था।  जिसके  लिए  मैं  कुछ  भी  कर  सकता  था।  जिसे  मैं  अपना  मानने  लगा  था।  और  जिससे  मैं  इतना...  पर  नहीं,  नैनावती  ऐसे  ही  किसी  मौके  के  तलाश  में  बैठी  थी।  ऐसे  में  मेरा  पलक  के  क़रीब  आना  उसके  लिए  जानलेवा  खतरा  साबित  हो  सकता  था।  इसलिए  मेरा  उससे  फासला  बनाए  रखना  ज़रूरी  था।  मगर  मेरे  ये  बगावती  जज़्बात  थे  जो  बार-बार  मुझे  उसके  नज़दीक  खींच  रहे  थे।
मैं  ख़ुद  ये  चाहता  था  कि  पलक  इंसानों  की  दुनियां  में  लौट  जाए।  लेकिन  इसके  बावजूद  जब  उस  दीन  आर्या  पलक  के  करीब  आने  की  कोशिश  कर  रहा  था  तब  मैं  ख़ुद  को  रोक  नहीं  पाया।

चंद्र • पलक • आर्या

उस  दिन  मैं  भी  अपने  अदृश्य  रूप  में  वहीं  मौजूद  था  जब  आर्या  को  होश  आया।  मगर  पलक  देर  तक  उसकी  देखभाल  करने  में  लगी  थी।  इसलिए  सुबह  उसकी  आंखें  नहीं  खुल  पाई।  होश  में  आते  ही  आर्या  ने  आसपास  देखा ।  वो  खुदको  इस  महल  में  पाकर  काफ़ी  हैरान  था।  मगर  पलक  को  अपने  सामने  सोया  हुआ  पाकर  उसके  चेहरे  पर  मुस्कान  आ  गई।  अपनेआप  को  संभालते  हुए  वो  अपने  पैरों  पर  खड़ा  हुआ  और  धीमी  गति  से  पलक  के  पास  पहुंचा।
"थैंक  यू,  पलक..."  आर्या  ने  लगभग  अश्राव्य  आवाज़  में,  "मेरी  जान  बचाने  के  लिए।"  कहते  हुए  पलक  के  चेहरे  पर  खिबरी  लट  को  आहिस्ता  से  पीछे  सरका  किया।
पर  अगले  ही  पल  आर्या  की  मुस्कान  फीकी  पड़  गई  और  उसके  चेहरे  पर  किसी  बात  की  तड़प  उभर  आई।  "अगर  आज  तुम  इस  वक्त  जग  रही  होती  तो  शायद...  फिर  मुझसे  दूर  भाग  जाती।"  इसी  बीच  उसने  हल्के  से  अपना  हाथ  सोफा  की  कगार  पर  रखा  और  धीमे  से  झुकते  हुए  वो  पलक  के  सिर  को  चूमने  जा  ही  रहा  था।
तब  ना  चाहते  हुए  भी  आर्या  की  पलक  से  बढ़ती  नज़दीकी  मैं  बर्दाश्त  नहीं  कर  पाया।  उस  वक्त  मैं  अपने  अंदर  अजीब  सा  दर्द  और  खिंचाव  महसूस  कर  रहा  था।  मुझे  तेज़  गुस्सा  आ  रहा  था।  और  अपने  इसी  अनचाहे  गुस्से  के  चलते  मैं  कुछ  कर  ना  बैठू  यहीं  सोच  कर  मैं  हवा  के  तेज़  झोके  की  तरह  उन  दोनों  के  पार  निकल  गया।
मैं  जानता  था  कि  आर्या  सच  में  एक  अच्छा  और  नेक  लड़का  था।  वो  पलक  को  चाहता  था।  और  वो  हमेशा  पलक  को  खुश  रख  सकता  था।  उसके  पास  पलक  को  देने  के  लिए  वो  सब  कुछ  था  जो  मैं  उसे  कभी  नहीं  दे  सकता  था।
सिर्फ़  अपनी  ख़ुशी  के  खातिर  मैं  पलक  की  ज़िंदगी  हरगिज़  बर्बाद  नहीं  करना  चाहता  था।  पलक  धीरे-धीरे  अपनी  बीती  बातें  भूलकर  आगे  बढ़  रही  थी।  वो  अपने  गमों  को  भुलाकर  एक  साधारण  ज़िंदगी  जीने  की  कोशिश  कर  रही  थी,  जिससे  मैं  बहोत  खुश  था। 
पलक  को  लेकर  मैं  अपने  अनंत  विचारों  में  खोया  था।  तभी  अचानक  मुझे  अपने  आसपास  किसी  अजीब  तरह  की  हलचल  का  आभास  हुआ।  जैसे  कोई  बार-बार  मेरे  गिरगिर्द  चक्कर  काट  रहा  हो।  फिर  अचानक  मुझे  आभास  हुआ  कि  एक  नहीं  बल्कि  कोइ  दो  व्यक्ति  थे  जो  इधर  से  उधर  चले  जा  रहे  थे।  मगर  जब  मैंने  अपने  पीछे  मुड़कर  देखा  तो  वहां  आसपास  कोइ  भी  मौजूद  नहीं  था।  फिर  भी  अपने  मन  का  वहम  दूर  करने  के  लिए  मैंने  पूरे  महल  का  मुआयना  किया।  मगर  मुझे  पूरे  महल  में  ऐसा  कुछ  नहीं  मिला  जिस  पर  शक  किया  जा  सके।

पेहली  बार  अपना  अंदाज़ा  गलत  पाकर  मैं  हैरत  में  था।  लेकिन  इसके  बावजूद  भी  मैं  पलक  की  सुरक्षा  को  लेकर  और  भी  सतर्क  हो  गया  था।  इसी  तरह  देखते  ही  देखते  रात  गुजर  गई।
सुबह  की  कुछ  नई  किरणों  से  उजाला  होते  ही  जब  पलक  की  नींद  लगभग  टूटने  वाली  थी  उसी  दौरान  मैं  अपनी  जगह  से  उठ  खड़ा  हुआ।
उस  वक्त  हमारी  बातचीत  के  दौरान  मेरी  कई  अनकही  बाते  पलक  के  सामने  आते  ही  मेरी  पलके  शर्म  से  झुक  गई  और  मुझे  एक  अजब  सी  सनसनी  का  आभास  हुआ।  मैं  ख़ुद  इस  बात  से  बेखबर  था  कि  पलक  के  लिए  मैं  क्या  कुछ  कर  गुज़रा  था।  और  पलक  की  ही  गुज़ारिश  पर  मुझे  उसे  आर्या  के  घाव  जल्दी  भरने  का  कारण  बताना  पड़ा,  जिससे  पलक  ने  ये  भी  अनुमान  लगा  लिया  कि  वो  मैं  ही  था  जो  शुरू  से  पलक  की  हिफाज़त  करता  आया  है।

रात  8:30  बजे।
पलक  उसके  ऑफिस  में  होने  जा  रहे  सेमिनार  से  उलझन  में  थी।  लेकिन  वो  इस  बात  से  खुश  भी  थी।  ऐसे  में  मैं  उसे  महल  में  मौजूद  बढ़ते  खतरे  के  बारे  में  बता  कर  उसकी  वो  खुशी  छीनना  नहीं  चाहता  था।  मगर  पलक  को  लेकर  मैं  कोई  लापरवाही  नहीं  कर  सकता  था।

मैं  पलक  पर  मंडरा  रहे  उस  मौत  के  काले  साए  को  नज़रंदाज़  नहीं  कर  सकता  था।  पलक  अब  तक  यहां  जितने  लंबे  समय  से  रहे  रही  थी  उसे  लेकर  मेरी  चिंता  उतनी  ही  बढ़ती  जा  रही  थी।  इंसान  होने  के  कारण  शायद  पलक  अपने  ऊपर  मंडरा  रहे  खतरे  को  नहीं  भांप  सकती  थी।  इसलिए  वो  बिना  किसी  एतराज़  के  यहां  रहे  रही  थी।
मगर  मैं...  एक  रूह,  एक  आत्मा  होने  के  नाते  ये  महसूस  कर  सकता  था  कि  पलक  कितनी  बड़ी  मुसीबत  के  साए  तले  जी  रही  थी।  माना  कि  आज  तक  वो  इस  महल  में  सुरक्षित  थी।  मगर  इस  सन्नाटे  में  मुझे  आने  वाली  किसी  तूफानी  आंधी  के  आसार  नज़र  आ  रहे  थे।  यहां  कोई  खतरा  था,  जो  किसी  कोने  में  कुंडली  मार  कर  बैठा  था ।
मैं  पलक  को  खुले  आम  नैनावती  नाम  की  मुसिबत  के  बारे  में  बता  कर  उसके  लिए  और  खतरा  मोल  नहीं  ले  सकता  था।  इसलिए  आत्माओं  से  जुड़े  भयानक  खतरों  से  आगाह  करने  के  लिए  मैंने  कहानियों  का  सहारा  लिया।  और  अपनी  इन  कहानियों  के  ज़रिए  अब  तक  मैं  पलक  को  तीन  बड़े  खतरों  से  सचेत  कर  चुका  था।  पर  अब  बारी  थी  सबसे  बड़े  खतरे  से  उसे  रू-बरू  करवाने  की।  और  इस  दफा  इस  खतरे  से  पलक  को  सावधान  करने  में  उपयोगी  बनेगी  मेरी  चौथी  और  अंतिम  कहानी।  शायद  इस  कहानी  को  सुनने  के  बाद  पलक  इस  दुनियां  में  छुपे  भयानक  खतरों  को  पहचान  ले  और  यहां  रहने  की  अपनी  ये  ज़िद  छोड़  दे।  जो  उसकी  सुरक्षा  के  लिए  सबसे  ज़्यादा  ज़रूरी  था।
जितनी  जल्दी  हो  सके  मैं  इस  कहानी  को  पलक  तक  पहुंचाना  चाहता  था।  मगर  अफ़सोस,  इन  दिनों  पलक  पर  पड़ते  काम  के  दबाव  की  वजह  से  हम  इस  कहानी  की  शुरुआत  आज  भी  नहीं  कर  पाए।  और  पिछली  रात  की  तरह  आज  भी  पलक  अपना  काम  करते  हुए  नीचे  हॉल  में  सो  गई।  और  मैं  कुछ  देर  तक  वहीं  उसके  सामने  बैठा  रहा।
पलक  के  लिए  मैं  पारलौकिक  दुनियां  और  इस  भौतिक  दुनियां  को  जोड़ने  वाली  एक  महत्वपूर्ण  कड़ी  था,  जो  उसे  पारलौकिक  दुनियां  में  छुपे  खतरे  से  सावधान  करने  के  साथ  ही  ढाल  बन  कर  उसकी  हिफाज़त  कर  रहा  था।  मगर  पलक  कब  तक  मेरे  साथ  इन  दोनों  दुनियाओं  के  बिच  फैले  अंधकार  में  भटकती  रहती!  कभी  न  कभी  तो  उसे  इस  विरान,  उजाड़  और  अंधेरे  से  भरी  दुनियां  से  निकलकर  अपनी  इंसानी  जिंदगी  में  लौटना  होगा।  जहां  हंसी  है,  खुशी  है,  दोस्त  और  प्यार  हो,  जिसकी  वो  हकदार  थी।
वो  यहां  इस  भयानक  महल  में  रहकर  भी  अपनी  जान  पर  मंडराते  खतरे  को  भूल  रही  थी।  मगर  मैं  ऐसा  नहीं  कर  सकता  था।  ऊपर  कल  रात  मैंने  अपने  इर्दगिर्द  जिस  तरह  की  असाधारण  चलपहल  महसूस  की  उसे  लेकर  मैं  गहरी  सोच  में  डूबा  था।  ये  मामूली  सी  लगने  वाली  घटना  किसी  बड़ी  मुसीबत  की  ओर  इशारा  कर  रही  थी।  इस  एक  घटना  को  लेकर  मेरे  मन  में  अशांति  पैदा  कर  दी  थी।  इसलिए  पलक  के  सोते  ही  मैं  इस  घटना  का  कारण  खोजने  निकल  पड़ा।
जाने  से  पहले  मैंने  पलक  को  वहीं  हॉल  में  सोफा  पर  लिटाया  और  उसके  चारों  तरफ  अपना  सुरक्षा  कवच  फैला  दिया।  ताकि  मेरी  गैरमौजूदगी  में  उस  पर  कोइ  आंच  न  आए।
उसके  बाद  महल  के  कोने-कोने  में  जाकर  मैंने  इस  जगह  के  हर  एक  हिस्से  का  मुआयना  किया।  इस  रहस्यमय  नयन  तारा  पेलिस  के  सभी  कमरे  और  हिस्से  में  जाकर  मैंने  अपनी  दूरदृष्टि  से  उस  जगह  की  जांच  की।  मगर  मुझे  संदेह  करने  जैसी  कोई  चीज़  नहीं  मिली।
तब  पेलिस  की  जांच  के  दौरान  कोई  सुराग  ना  मिलने  पर  मैं  वापस  पलक  के  पास  हॉल  में  लौट  गया।  मगर  हॉल  तक  पहुंचते  ही  पलक  को  वहां  ना  पाकर  मैं  काफ़ी  परेशान  हो  गया।  उसे  अपनी  नज़रों  से  ओझल  पाते  ही  मेरा  मन  बेचैन  हो  उठा।  पलक  की  सुरक्षा  को  लेकर  मेरे  मन  में  ढेरों  सवाल  उमड़  पड़े।  अचानक  किसी  अनहोनी  का  खयाल  मुझे  झंझोड़ने  लगा।

क्रमश:

_-_-_-_-*_-_-_-_-*_-_-_-_-*_-_-_-_*_-_-_-_

पलक की ओर चंद्र का बढ़ता झुकाव क्या तूफ़ान लाएगा उनके अंजान रिश्ते में? जज़्बातों के उतार-चढ़ाव, रहस्यों का जाल और बेखबर प्यार पलक की जिंदगी में एक साथ दस्तक देने वाले हैं। आने वाले सभी चैप्टर्स और भी रहस्यमय से भरपूर, अजीबोगरीब और डरावने होने वाले है।

* क्या पलक को लेकर चंद्र की बेताबी आने वाली किसी नई मुसीबत का इशारा है या महज़ एक इत्तेफ़ाक?
* क्या चंद्र की नाराज़गी ले आएगी पलक और आर्या के बिच और दूरियां?
* या चंद्र चला जाएगा हमेशा के लिए पलक से दूर?
(मेरे प्यारे दोस्त क्या सोचते है इस बारे में? ☺️)
जवाब जानने के लिए अगला भाग ज़रूर पढ़ें।

आने वाला अगला भाग और भी डरावना और दिलचस्प होने वाला है। अगले अपडेट के लिए हमसे जुड़ें रहे और हमें अपने बहुमूल्य अभिप्राय ज़रूर दे। साथ ही अगर आपको ये कहानी पसंद आए तो इस कहानी पर वोट, कमेंट कर मुझे प्रोत्साहन भी ज़रूर दे।
🙂🙏🏻💖
अपना दिल थाम कर बैठिए क्योंकि अगला सनसनीखेज भाग योगा दिवस तथा वर्ल्ड म्यूज़िक डे की रात यानी 21 Jun 2021 को प्रकशित होगा।

*************

मेरी प्रकाशित रचनाएं:-

1. Dark in the city (Book 2) - (Latest)
Paperback: https://amzn.to/2LHnqvG
Ebook: https://amzn.to/3hNwWv6

2. The Dark Dekken (Book 1)
https://amzn.to/3ntEW4w

3. Alamana- The secret of Indian Ocean
https://amzn.to/2K7jzra

(Available in Paperback and Kindle + E-book.)

4. Aphrodite - (Anthology)
https://amzn.to/3uGS5em

https://youtu.be/uhpgfOyUgyo

As compiler I Published:-
(हमारी आने वाली नई एंथोलॉजी में हिस्सा लेकर अपनी रचना पूरी दुनिया में प्रकाशित करने के लिए हमसे इंस्टाग्राम तथा फेसबुक पर तुरंत जुड़े। लिंक बायो में है।)

1. When the Dark Falls (Latest)
https://amzn.to/2IZZbYu

2. Aus - Kuchh bund, kuchh barishen
https://amzn.to/2IWCpAU

3. Easy Piano
https://amzn.to/2IZwZVS

https://youtu.be/qbEkza8MIYs

Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro