'सत्य'
Hope you will like it.
जीवन के सब भोगविलास।
मुख वाचन से सब अनायास ।।
धूमिल जनों का चरित्र-चित्रण ।
विश्वास बना अब अविश्वास ।।
झूठे वादों का परचम लेकर ।
स्वार्थ सिद्ध करते कलाकार ।।
तर्क वितर्क से परे है "सोज"
अभिवृत्तियो का सत्यानाश
अत्याचार बनी घोर मुसीबत ।
गलत विसंगति का पश्चाताप ।।
मूल्यांकन से अभिप्रेरित होकर।
सामूहिक दायित्व का अधिकार
✍प्रियंक खरे 'सोज़'
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen247.Pro