कसूर
हैं याद वो बीते पल हमको आज भी
ना जाने क्यूँ तुम्हे लगता है
कि हम उन्हें बिसार बैठे हैं
माना ना करते तुमसे बात हर दिन
पर मतलब उसका ये तो नहीं कि
हम सब भुला बैठे हैं
थे दोस्त तुम हमारे
और जीवन भर रहोगे भी
माना ज़रा दूर रहते हैं हम
पर ये कमी आदतन है
समझते हैं गिला तुम्हारा
हर तन्ज़ तुम्हारा हमें चुभता है
पर ना करते शिकवा तब भी
क्योंकि जानते हैं
ये कसूर हमारा है
ना करवा पाए यकीन तुम्हे
ना बता पाए कि
इस ज़हन का एक कोना
तुम्हारी ही यादों से भरा है
ना समझो हमें गलत तुम
है कसूर हमारा
पर ना दो कोई सज़ा हमें
ना भूलें हैं तुम्हे
ना सोचो कि
तुम्हारी यादों को बिसार बैठे हैं।
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