शायरी 3
विश्वास
गैरों पर किया विश्वास ,
तो धोखा मिल गया ।
अपनों पर किया विश्वास ,
तो धोखा मिल गया ।
गैरों का धोखा तो सह भी लिया ,
पर अपनों का धोखा सहा नहीं गया ।
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किसी गैर पर विशवास मत करना ।
दिल की ख्वाहिशों का इज़हार मत करना ।
हमने तो अपना मानकर किया था इज़हार दिल का ।
उन्होंने गैर बनकर मजाक बना दिया ।
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