कितने चेहरे
आजकल नींद नहीं आती है...
खुली आँखों से सपने देखते है..
सोचते है ईतना...
कि कूछ कर नहीं पाते है ।।
ज़िन्दगी में अकेले रहने की आदत सी पड़ गयी है..
चाहत तो है दिल में
सबको प्यार करने की..
पर ना जाने क्यो
वजह ही नहीं मिल रही है ।।
इंसान तो लाखो है..
शायद से उनके चेहरे भी लाख...
किसके किस चेहरे पे,विश्वास करे...
ये मेरा दिल नहीं बता पाता....
क्योंकी मेरे खुद के कितने चेहरे है..
ये साला मैं भी नहीं जानता ।।
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