उलझन
जाने किस मोड़ पर खड़ी हूं?
दिल तुम्हारा होना चाहता है।
और, नहीं भी,
ना जाने मैं क्या चाहती हूं।
तुमसे दूर जाने का दिल नहीं करता,
तुम्हारे पास आने के लिए मन नहीं मानता।
तुम्हारे आने पर खुशी होती है,
और, तुम्हारे जाने का कोई ख़ास गम नहीं।
जाने किस मोड़ पर खड़ी हूं?
दिल तुम्हारा होना चाहता है।
और, नहीं भी,
ना जाने मैं क्या चाहती हूं।
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